वक्त है
कुछ कर दिखाओ
हौसला दिल में जगाओ
देश शर्मिंदा बहुत है
रहनुमाओं जाग जाओ ।
लुट रही सडकों पे अस्मत
बेटियां दिखती हैं बेबस
करने को उनको सुरक्षित
मन में कुछ सुविचार लाओ ।
देश शर्मिंदा बहुत है
रहनुमाओं जाग जाओ ।
क्या नहीं गैरत बची है ?
हाथों में मेंहदी रची है ?
गर नहीं उपचार है कुछ
छोड दो पद, भाग जाओ ।
देश शर्मिंदा बहुत है
रहनुमाओं जाग जाओ ।
.... देव कान्त पाण्डेय
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