प्रेम का दिन मनाओ, बुरा कुछ नहीं,
प्रेम हमको विधाता का वरदान है,
किन्तु सीमित करो ना इसे देह तक,
प्रेम ऐसी सीमाओं से अनजान है ।
प्रेम केवल नही प्रेयसी के लिए,
प्रेम केवल नही स्वखुशी के लिए,
प्रेम बांटो, करो प्रेम की अर्चना,
प्रेम है हठ नही, प्रेम है याचना,
प्रेम पावन हृदय मे खिला फूल है,
जिंदगी की कथा का यही मूल है,
प्रेमियो के लिए प्रेम संजीवनी,
है हमारे लिए ये बनी लेखनी,
प्रेम हारे हुओं का नव-उत्साह है,
पथ से भटके हुओं की नई राह है .
प्रेम का नभ से भी ज्यादा विस्तार है,
प्रेम जीवन है, माझी है, पतवार है,
आज आओ करें प्रेम की वंदना,
प्रेम पर ही टिका आज संसार है.
सुन्दर रचना
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