भोजपुरी गायक व सिने स्टार मनोज तिवारी ने कहा है कि " अब यदि भोजपुरी के संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कईला में देरी भईल त एकर लडाई तेज होई । 20 करोड़ लोग भोजपुरी भाषा बोलेला, लेकिन सरकार लगातार उनके उपेक्षा कर रहल बा। अब भोजपुरी के खातिर लड़ाई लड़े के परी। पीछे हटे के कौनो सवाल नई खे"। मनोज तिवारी ने यह बात भोजपुरी समाज द्वारा दिनांक २६ दिसंबर २०१० को आयोजित भोजपुरिया शिखर सम्मेलन में कही । भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए भोजपुरी समाज के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम में भारी संख्या में दिल्ली के भोजपुरी भाषा-भाषी उपस्थित हुए। इसमें सांसद, साहित्यकार, गायक, गीतकार, सिने कलाकार, समाजसेवी और बुद्धिजीवी शामिल थे । मनोज तिवारी ने कहा कि आठवीं अनुसूची में कई ऐसी लोकभाषाए हैं, जिसे बोलने वाले महज 20 से 50 लाख के बीच हैं । मैं इनका विरोध नहीं करता, लेकिन यह कहां तक उचित है कि 20 करोड़ लोगों की भाषा को उपेक्षित रखा जाए। भोजपुरी की लड़ाई को अमलीजामा पहनाने के लिए सांसद व फिल्म कलाकार शत्रुध्न सिन्हा भी मौजूद थे। शत्रुध्न सिन्हा ने कहा कि यदि 15 वीं लोकसभा चलेगी तो भोजपुरी क़ा मुद्दा उसमें उठेगा । भ्रष्टाचार की वजह से 15 वीं लोकसभा का क्या होगा कहना मुश्किल है, लेकिन मैं आप लोगों से वादा करता हूं कि जब भी संसद का सत्र चलेगा भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए मैं पटल पर जोरदार ठंग से मांग रखूंगा। मेरे घर का नाम रामायण है और रामायणवासी होने के नाते भोजपुरी को उसका अधिकार दिलाने के लिए मैं वचनबद्ध हूं।
प्रसिद्ध साहित्यकार केदारनाथ सिंह ने कहा कि भोजपुरी हमार घर हौ और हिंदी हमार देश। न घर को छोड़ा जा सकता है और न देश को, इसे सरकार को समझना होगा। वैसे सरकारी संरक्षण से अधिक जरूरी यह है कि भोजपुरी में बढि़या लेखन हो और इस क्षेत्र के बड़े लेखक भोजपुरी में लिखने के लिए आगे आएं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भोजपुरी समाज के अध्यक्ष अजीत दुबे ने कहा कि 30 अगस्त 2009 को भोजपुरी के विषय को कॉलिंग अटेंशन मोशन में सांसद संजय निरुपम, रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदंबिका पाल ने संसद में उठाया, जिसके लिए भोजपुरी समाज उनका आभारी है। भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी के नाम पर हॉलैंड में डाक टिकट जारी हो चुका है, इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में उनकी फिल्म भोजपुरिया डॉन पहुंच चुकी है। देश से बाहर मॉरिशस, सुरिनाम, फिजी जैसे देशों में भोजपुरी व्यापक रूप से बोली जाती है, मॉरिशस में तो इसे संवैधानिक दर्जा भी प्राप्त है, इसके बाद भी सरकार को इस भाषा की सुध नहीं है। सरकार नहीं चेती तो भोजपुरी समाज सड़क पर उतरकर संघर्ष करने को बाध्य होगा। यह सिर्फ भाषा के संवैधानिक दर्जे की बात नहीं है, बल्कि भोजपुरी भाषा- भाषियों के मान-सम्मान की बात है। इस कार्यक्रम का संचालन प्रभुनाथ पांडेय ने किया। इसमें पूर्व सांसद जितेंद्र सिंह, गोस्वामी पुरी, एच.एन. शर्मा, पूर्वांचल एकता मंच के अध्यक्ष शिवजी सिंह, वीर कुंवर सिंह फाउंडेशन के निर्मल सिंह, कारूराम, गरीबदास, पूर्वांचल गण परिषद के निर्मल पाठक,विनयमणि त्रिपाठी, लल्लन तिवारी, मनोज भावुक, एचपी सिंह, एलएस प्रसाद, प्रदीप पांडेय, सनत दुबे,प्रह्लाद सिंह, एपी सिंह, कुलदीप, राकेश परमार आदि भी उपस्थित हुए ।
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