दिनांक 22 फरवरी 2011 को दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में भोजपुरी समाज दिल्ली के सौजन्य से प्रेस कांफ्रेस का आयोजन किया गया। यह आयोजन मारीशस के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री श्री जगदीश गोवर्धन की 50 दिवसीय 'भारत भोजपुरी यात्रा' के परिप्रेक्ष्य में उनके प्रयासों एवं उनके विचारों से मीडिया जगत को अवगत कराने के लिए भोजपुरी समाज दिल्ली के सौजन्य से किया गया । इस प्रेस कांफ्रेस में मारीशस से आए श्री जगदीश गोवर्धन पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, मारीशस सरकार, डा. अखिलानंद रिसाल और उनकी पत्नी होशिला देवी रिसाल के साथ-साथ श्री अजीत दुबे, अध्यक्ष भोजपुरी समाज दिल्ली, डा. नित्यानंद तिवारी पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी, दिल्ली विश्वविद्यालय, श्री ओंकारेश्वर पांडेय, संपादक भोजपुरी पत्रिका 'संडे इंडियन', श्री शिवाजी सिंह, अध्यक्ष पूर्वांचल एकता मंच दिल्ली, श्री प्रभुनाथ पांडेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष भोजपुरी समाज दिल्ली, डा. अजय कुमार ओझा, अध्यक्ष भोजपुरिया फाउन्डेशन व संपादक भोजपुरी मासिक पत्रिका 'वीर भोजपुरिया', श्री कुलदीप कुमार संपादक भोजपुरी वेव साईट 'पूर्वांचल एक्सप्रेस' सहित इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया के तमाम संवाददाता व पत्रकार उपस्थित थे।
अपने संबोधन में श्री जगदीश गोवर्धन ने कहा कि "मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण व प्रिय भाषा उसकी मातृभाषा है और यह मातृभाषा मनुष्य के मस्तिष्क को सोचने समझने की बेहतर दृष्टि प्रदान करती है । जो अपनी मातृभाषा से दूर हो जाता है वह अपनी पहचान भी खो देता है । भोजपुरी दुनिया भर के 20 करोड. लोगों की मातृभाषा है परन्तु आज भी यह भाषा भारत में अपने सम्मान से वंचित है । इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना अत्यंत अनिवार्य है । इसके लिए समस्त भोजपुरी भाषियों और देश विदेश में संचालित समस्त भोजपुरी संगठनों को एक साथ एक मंच पर आकर बहुत ही जोरदार ढंग से अपनी आवाज बुलंद करनी होगी । साथ ही भोजपुरी क्षेत्र के राजनेताओं को बहुत स्पष्ट रूप से यह संदेश देना होगा कि संसद में भोजपुरी के हक में आवाज बुलंद करने वाले राजनेताओं को ही हमारा मत प्राप्त होगा । जब 20 करोड लोग मिलकर एक साथ आवाज उठायेंगे तो भोजपुरी को उसका संवैधानिक हक प्राप्त करने से कोई रोक नहीं पाएगा" ।
अपने अध्यक्षीय भाषण में भोजपुरी समाज दिल्ली के अध्यक्ष श्री अजीत दुबे ने जहॉं एक तरफ श्री जगदीश गोवर्धन पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, मारीशस सरकार को उनकी इस 50 दिवसीय 'भारत भोजपुरी यात्रा' के लिए उन्हें साधुवाद एवं बधाई दी वहीं दूसरी तरफ उन्होंने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के संबंध में भोजपुरी समाज दिल्ली द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों की जानकारी देते हुए यह कहा कि मारीशस जैसे देश में भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता प्राप्त है पर अपने ही देश में भोजपुरी सरकारी उपेक्षा की शिकार है । उन्होंने अत्यंत जोर देकर कहा कि "इससे पहले कि भोजपुरी भाषा का आंदोलन विकराल रूप धारण करे इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने संबंधी विधेयक संसद के इस सत्र में अवश्य पेश होना चाहिए ताकि भोजपुरी को इसका अपेक्षित हक मिल सके । यदि ऐसा होता है तो यह न केवल भोजपुरी भाषा की बल्कि 20 करोड भोजपुरी भाषियों के भावनाओं का सम्मान होगा । हमारी प्रबल मांग है कि केन्द्र सरकार दृढ. राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखलाते हुए संसद के वर्तमान सत्र में इस विधेयक को अवश्य पेश करे"।
इस अवसर पर बोलते हुए डा. नित्यानंद तिवारी, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी, दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा कि "भोजपुरी ऐसे लोगों की भाषा है कि जो यह जानते हैं कि संघर्ष और दुख से सफलता कैसे प्राप्त होती है । मारीशस में गए गिरमिटिया मजदूर इसके सशक्त प्रमाण हैं । इसमें गुण, संख्या व प्रभाव की दृष्टि से ऐसा सामर्थ्य है कि वह अपना सम्मान पा सकती है । अत: भोजपुरी जिसे बोली के रूप में अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त है वह संविधान की भाषा बनने की अधिकारिणी है और इसे इसका हक मिलना चाहिए" ।
श्री ओंकारेश्वर पांडेय, संपादक भोजपुरी पत्रिका 'संडे इंडियन' ने कहा कि "गोरख वाणी से लेकर कबीर तक भोजपुरी इतना प्रभावशाली रही है कि आजादी के समय ही इसे उचित सम्मान मिल जाना चाहिए था । आठवीं अनुसूची में दर्ज अन्य भाषाओं की तुलना में भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में दर्ज करने का पर्याप्त आधार है अत: इसको इसका हक मिलना ही चाहिए" । साथ ही उन्होंने समस्त भोजपुरी भाषियों से यह अपील भी की कि जनगणना 2011 में भोजपुरी को अपनी मातृभाषा के रूप में दर्ज कराएं ।
श्री शिवाजी सिंह, अध्यक्ष पूर्वांचल एकता मंच दिल्ली ने कहा कि जब तक तीव्र आंदोलन तथा संघर्ष का रास्ता नहीं अपनाया जाता तब तक भोजपुरी को अष्टम अनुसूची में दर्ज कराना मुश्किल लगता है ।
इस अवसर पर श्री जगदीश गोवर्धन, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, मारीशस सरकार की इस 50 दिवसीय 'भारत भोजपुरी यात्रा' संबंधी स्मारिका का विमोचन भी किया गया ।
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