नहीं थम रहा, गली-चौक पर
जारी है अपराध
दिल्ली में बसने लगे वहशी और जल्लाद ?
वहशी और जल्लाद, है चिंतित घर-चौराहा
मानवता और मूल्य हो चुके बिलकुल स्वाहा ।
मॉं-बेटी-बहनों पर हैं कुछ क्रूर निगाहें
कस लेने की साजिश करती पापी बाहें
गर्व-मान-सम्मान सभी पर खतरा भारी
कहत "देव" कवि दिल्ली को यह कौन बीमारी ।।
दिल्ली में बसने लगे वहशी और जल्लाद ?
वहशी और जल्लाद, है चिंतित घर-चौराहा
मानवता और मूल्य हो चुके बिलकुल स्वाहा ।
मॉं-बेटी-बहनों पर हैं कुछ क्रूर निगाहें
कस लेने की साजिश करती पापी बाहें
गर्व-मान-सम्मान सभी पर खतरा भारी
कहत "देव" कवि दिल्ली को यह कौन बीमारी ।।
......Devkant Pandey
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