वो गीता-कुरां की कसम बेचता है
दुकानें सजा कर धरम बेचता है
वो सर से कदम तक शराफत पहनकर
नशा-नफरते बेशरम बेचता है ।
वो बहुरूपिया है, लगा के मुखौटा
खुलेआम दर-दर जहर बेचता है ।
वो दैरो-हरम की इबादत में घुस के
पहन माला-टोपी कफन बेचता है ।
वो गॉंधी के खद्दर में खुद को लपेटे
नफासत से बिलकुल वतन बेचता है ।
तेरे जख्म भरने की दहलीज पर हैं
बचो "देव" उससे नमक बेचता है ।
... देवकांत पाण्डेय
दुकानें सजा कर धरम बेचता है
वो सर से कदम तक शराफत पहनकर
नशा-नफरते बेशरम बेचता है ।
वो बहुरूपिया है, लगा के मुखौटा
खुलेआम दर-दर जहर बेचता है ।
वो दैरो-हरम की इबादत में घुस के
पहन माला-टोपी कफन बेचता है ।
वो गॉंधी के खद्दर में खुद को लपेटे
नफासत से बिलकुल वतन बेचता है ।
तेरे जख्म भरने की दहलीज पर हैं
बचो "देव" उससे नमक बेचता है ।
... देवकांत पाण्डेय
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