बेवजह, बिन बात चिल्लाने लगे हैं
आजकल मुझपे वे झल्लाने लगे हैं
प्रेम से भी बात जो उनसे करूं
क्रोध से वे आंख दिखलाने लगे हैं ।
जो निकट जाने की मैं कोशिश करूं
दूर हट जाने को समझाने लगे हैं ।
तोडकर वे प्यार की सारी हदें
नफरतों के तीर बरसाने लगे हैं ।
मिन्नतें मेरी नहीं करतीं असर
आंखों-आंखों मे ही धमकाने लगे हैं ।
देखकर उनकी ये ऐसी बेरूखी
स्नेह के अब फूल मुरझाने लगे हैं ।
कोई कहता "देव" की पत्नी है ये
और कुछ तो बॉस बतलाने लगे हैं ।
..... देवकान्त पाण्डेय
आजकल मुझपे वे झल्लाने लगे हैं
प्रेम से भी बात जो उनसे करूं
क्रोध से वे आंख दिखलाने लगे हैं ।
जो निकट जाने की मैं कोशिश करूं
दूर हट जाने को समझाने लगे हैं ।
तोडकर वे प्यार की सारी हदें
नफरतों के तीर बरसाने लगे हैं ।
मिन्नतें मेरी नहीं करतीं असर
आंखों-आंखों मे ही धमकाने लगे हैं ।
देखकर उनकी ये ऐसी बेरूखी
स्नेह के अब फूल मुरझाने लगे हैं ।
कोई कहता "देव" की पत्नी है ये
और कुछ तो बॉस बतलाने लगे हैं ।
..... देवकान्त पाण्डेय